Considerations To Know About Hindi poetry
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जग में आकर सबसे more info पहले पाई उसने मधुशाला।।२७।
जग चिंताओं से रहने को मुक्त, उठा लेता प्याला,
ध्यान किए जा मन में सुमधुर सुखकर, सुंदर साकी का,
वेदिवहित यह रस्म न छोड़ो वेदों के ठेकेदारों,
काल प्रबल है पीनेवाला, संसृति है यह मधुशाला।।७३।
लोल हिलोरें साकी बन बन माणिक मधु से भर जातीं,
'बस अब पाया!'- कह-कह कब से दौड़ रहा इसके पीछे,
Hello friend, First off i wish to say, this is an awesome collection. If you're able to arrange the poem by makhanlal chaturvedi ji-
बार बार मैंने आगे बढ़ आज नहीं माँगी हाला,
कानो में तुम कहती रहना, मधु का प्याला मधुशाला।।८१।
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मिलने का आनंद न देती मिलकर के भी मधुशाला।।६७।
जाति प्रिये, पूछे यदि कोई कह देना दीवानों की धर्म बताना प्यालों की ले माला जपना मधुशाला।।८५।
प्राप्य नही है तो, हो जाती लुप्त नहीं फिर क्यों हाला,
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